यह कथक जो
गुरु शिष्य परम्परा से चलता आया
ज्ञान मनोरंजन भक्ति को पाना
जीवन कथा को नृत्य रूप दिखाना
मंदिर दरबार से रंगमंच तक छाया।
कथनी करनी को हर रस में सजाना
घुंघरू संग ताल पर नाचना - नचाना
पलटे भाग्य रंग अभिनय दिखाना
बहिर्मुख से अंतरंग को जाना।
कथक का मेरे जीवन में आना
जैसे प्रेमी का प्रीतम को पाना
साधना का यह मार्ग अनोखा
लय यात्री की आरोह गत-चाल चलना
इस तन की धारा का होमित होना
भूतल से परमप्रिय को पुकारना
जैसे राधा - मीरा का समर्पित होना
कुछ ऐसा मैंने तत्कार के बोलो को जाना
ता थई थई तत
आ थई थई तत।। २।।
परमप्रिय को अपनी बात बताना
जीवन में स्थिरता को पाना
सम आदि का ध्यान लगाना
कथक से मेने खुद को जाना।
कथक से मेने खुदा को पान।
- vaibhav pandya
February 2021
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