Friday, June 14, 2019

दिल से दिमाग़ से या


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दिल से
दिमाग़ से
या
दोनो के समन्वय से
दिमाग़ बिखरा बिखरा है
दिल तूटा तूटा है
कुछ छूटा छूटा सा है
क्या है?
या
कोन है?
गहराई महंगी हो रही है
तन्हाई गूंगी हो रही है
कोई अवाज दबि सी है
दिल की आवाज़ ज़ुबान पर तुट जाए
दिमाग़ की आवाज़ जुमले मे छूट जाए
दिल से
दिमाग़ से
या
दोनो के समन्वय से
यह सवाल नही है, अब!
वह सज्ज हे जब
जो भी होगा लाजवाब होगा
दिल से भी होगा,
दिमाग़ से भी होगा
गा के मस्त दिल, दिमाग़
में मे तू, तू मे में होगा

written by vaibhav on 14-06-2016, 22:19
- one of the FB post which wanted to be 50th post on blog. Now up on the blog as 175th.
Pic credit: youngisthan.in


Thursday, June 13, 2019

દિલ ભરાઈ આવ્યુ છે


Let it come
Let it go
When it came did you notice
Did its arrival was on your hand?
Than why do you mind, when it has come?
If you want it to go, tell it
Or it will go on its own time
and if still it doesn't go than,
either you are liking that or
you want it to go, than softly relax and tell.
If coming was not in my mind, hand.
how come its going in my mind, hand.
After, in what it came and from where you want it to go????
???
if at the end you going to ask same question, to shut everything down.
Sorry, this time lets try something different.
lets keep on asking endlessly..

vaibhav
13-06-2016, 20.08pm

Tuesday, June 04, 2019

क्या होवे? क्या ना होवे?

क्या होवे? क्या ना होवे?
तेरा था क्या?
जो तू रोवे!
तेरा था क्या?
जो तू खोवे!
क्या होवे? क्या ना होवे?
तेरे हाथोंमें है क्या?
तेरे हाथो से जो बोवै,
वही तो तू पावे।
तेरे हाथों में है क्या?
क्या होवे? क्या ना होवे?
समय आया क्या?
सपनों मे, वास्तव मे
समय आया क्या?
जो होना वही होवे।
क्या होवे? क्या ना होवे?
कोन पीछे पड़ा है?
अहं तेरा, भरम तेरा
कोन पीछे पड़ा है?
कोई सवाल, कोई जवाब
क्या होवे? क्या ना होवे?
जो तू चाहे
या
वह चाहे?
तुझको क्या भावे?
यह तो था बस उसका होना।
शून्य का था सर्जन, शून्य हो जाना।
क्या होवे? क्या ना होवे?
जो भी तू पावे।
क्या होवे? क्या ना होवे?
जो भी तू गावे।
क्या होवे? क्या ना होवे?
जो भी तू बांटे।
क्या होवे? क्या ना होवे?
जो रखे हे दिलमें संभाले।
क्या होवे? क्या ना होवे?
बस तेरा मेरा हो ना।
(बह रही थी कोई, अंदर से मेरे। ढूंढ रहा हूं बाहर के कोने। कभी मिली थी मुझसे, थोड़ा मुझसे निकल कर या मुझको निकाल कर? बह गई अब वो, जो तलाशा मैंने। क्या वोह कह गई, बातें अधूरी सी रह गई। दिल हे सुखा और आंखे गीली। अंत ना था वो कविता की सरिता, अभिव्यक्ति मेरी अधूरी। क्योंकि में रह गया अधूरा, वो बह गई मधुरी? पूरब की और, कुछ हवा कह रही। आते जाते मुझे संदेशा देती, उस आश पर जीवित ...
जो अंदर से बहती, बाहर वो मिलती...)
-वैभव


happen and unhappen - video
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કાંટો કરમાઈ જાશે

સવારથી કાંટો પકડી ને બેઢો કાંઠે ઊભો ઊભો ઓટ ને જોતો કંઠ ભરાઈ આવ્યો ત્યાં સુધી કાંટો નીચે ના મૂક્યો. 'બધી રીતે તપાસ જો કરવી તી અલગ અજબ કંઈ...