Monday, March 08, 2021

भेद से परे

मुझे इन भेद से परे उठना हे,
भेडियो के बीच नही, शेर बन कर रहना हे।
बिक गया है ईमान वहां मान कहा मिले, मिलता है सन्नमान भी बाजारों पर।
बस जब से मेरी नज़र तुजसे हो
कठिन घना सफर तुजसे तुज तक हो।
एकत्व के तत पर, प्रेम से मेरी सब गत हो।
आंखे अब रूप ना देखे, जो जान गई हो तत को।
जब जान लिया तत्वरस तो रूप रंग का भेदना हो।
भेद से तो जन्मी थी वेदना
वरना चेतना में कहा होता तेरा मेरा।

अब सचेतन हु, देखता हूं 
इस आवागमन को
दमन उफ़न मस्त कष्ठ सब
परिवर्तित तेरे आनंद में।

में अब सचेतन हु।

Saturday, March 06, 2021

महाकाल और सावित्री

वोह भी एक काल था
जो चलना सीखा गया
अंतर जगत की खोज का
प्रदीप जला गया

रूपांतर की चाबी से
अंतर मिटा गया
वोह भी एक काल था
जो महाकाल से मिला गया

कल कल करके बह चला
ठहरना बता गया
नित नित्य नीति पे, से
खुलना सीखा गया।

वैभव
०६/०३/२०२१

निवेदन - 11 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन , महाकाल के साथ सावित्री के माध्यम से भेंट करने का सोचा हे। अगर आप जुड़ना या जानकारी चाहिए तो संदेश भेजे। धन्यवाद।


Pass - Pass Game of Life

We all have played that game - pass the parcel. Where music is played in background, parcel (pillow or ball or such object) is passed in the...