Saturday, October 22, 2022

मेरे राम अभी भी वनवास में हे, कैसे में दीपावली मनाऊं?

मेरे राम अभी भी वनवास में हे,
कैसे में दीपावली मनाऊं?

अभी तो सीता की खोज में हे,
अंजली पुत्र से मुलाकात अब होने को हे,
कैसे पूर्ण अंजली देवे, यह सोचभी कहा से ले आऊं?
मेरे राम अभी भी वनवास में हे,
कैसे में दीपावली मनाऊं?

तेरे मेरे के खंडो में कही विभाजित हूं,
पाखंड कर, खंडहर में जीवन कैसे ले आऊं?
मेरे राम अभी भी वनवास में हे
कैसे में दीपावली मनाऊं?

में निराश हताश नहीं, उल्लासित हूं
विलासित ना हो कर संयमी बन, 
समय की साथ साथ में भी अभिलाषी हूं।
अब नही तो आज, आज नही तो कल,
मेरे प्रभु श्री राम आयेंगे।
पर 
मेरे राम अभी भी वनवास में हे,
कैसे में दीपावली मनाऊं?

जिनके घर श्री राम आने हे या पधारे है,
उनके संग थोड़ी खुशियां में भी मनाऊं।
खबर मिले तो एक लौ में भी जलाऊ ,
अपने घर में भी बुलाऊं,
थोड़ा सा सजाऊ थोड़ा सा रंगवाऊ
बर्फी नही तो दो बैर सही में जुटाऊ।
मेरे राम अभी भी वनवास में हे
कैसे में दीपावली मनाऊं?

अखंड दीपक का साधक हूं 
कैसे उसका साधन बन जाए, वही याचना करता हु।
पांच तत्वों को दशो दिशा से यही संदेशा देने कहता हूं
ओर आदेश की राह मे, तत्पर खड़ा रहता हूं।
मेरे राम कभी तो वन से लौट कर घर आयेंगे,
उसी आश में एक लौ में भी जलाता हूं।
पर
मेरे राम अभी भी वनवास में हे
कैसे में दीपावली मनाऊं?




Wednesday, June 29, 2022

now to nowhere

Moment goes and moment comes,
I am blank, standing still;
Full of faith and gratitude,
Open to receive next moment.

Waiting for my lord, in every breath 
Which measures my breadth
Blessed be all moment, 
As they are presents from my lord

Moment goes and moment comes,
How wonderful it would be? 
To be in this Love. Oneness be made
momentum of thy force
so moment and me flow on....

 Moment goes and moment comes.


29-06-2014
Edit on 29-06-2022

Missing my vasundhara (name of my flute) today. Aha! As I wrote the name and said out loud in mind, it occurs that it's His flow alone. Vasundhara - Vasu ki Dhara ; Vasun Dhara; ... Just feeling awesome.. and this moment goes and another comes. Forever new forever fresh. May all we know and move in this eternal flow. 

કાંટો કરમાઈ જાશે

સવારથી કાંટો પકડી ને બેઢો કાંઠે ઊભો ઊભો ઓટ ને જોતો કંઠ ભરાઈ આવ્યો ત્યાં સુધી કાંટો નીચે ના મૂક્યો. 'બધી રીતે તપાસ જો કરવી તી અલગ અજબ કંઈ...