कैसे में दीपावली मनाऊं?
अभी तो सीता की खोज में हे,
अंजली पुत्र से मुलाकात अब होने को हे,
कैसे पूर्ण अंजली देवे, यह सोचभी कहा से ले आऊं?
मेरे राम अभी भी वनवास में हे,
कैसे में दीपावली मनाऊं?
तेरे मेरे के खंडो में कही विभाजित हूं,
पाखंड कर, खंडहर में जीवन कैसे ले आऊं?
मेरे राम अभी भी वनवास में हे
कैसे में दीपावली मनाऊं?
में निराश हताश नहीं, उल्लासित हूं
विलासित ना हो कर संयमी बन,
समय की साथ साथ में भी अभिलाषी हूं।
अब नही तो आज, आज नही तो कल,
मेरे प्रभु श्री राम आयेंगे।
पर
मेरे राम अभी भी वनवास में हे,
कैसे में दीपावली मनाऊं?
जिनके घर श्री राम आने हे या पधारे है,
उनके संग थोड़ी खुशियां में भी मनाऊं।
खबर मिले तो एक लौ में भी जलाऊ ,
अपने घर में भी बुलाऊं,
थोड़ा सा सजाऊ थोड़ा सा रंगवाऊ
बर्फी नही तो दो बैर सही में जुटाऊ।
मेरे राम अभी भी वनवास में हे
कैसे में दीपावली मनाऊं?
अखंड दीपक का साधक हूं
कैसे उसका साधन बन जाए, वही याचना करता हु।
पांच तत्वों को दशो दिशा से यही संदेशा देने कहता हूं
ओर आदेश की राह मे, तत्पर खड़ा रहता हूं।
मेरे राम कभी तो वन से लौट कर घर आयेंगे,
उसी आश में एक लौ में भी जलाता हूं।
पर
मेरे राम अभी भी वनवास में हे
कैसे में दीपावली मनाऊं?
No comments:
Post a Comment