तू पातासा दे कभी
तू परख ले कभी
तू करीब हे कभी
तू दूर हे कभी
बस कभी कभी
बस अभी अभी
धूप मे - छाव मे
प्रेम के भाव मे
करीब अभी, दूर अभी
मे सोचु और डूब जाउ
तू सुझावे तो तैर जाउ
अंदर कभी, बाहर कभी
ना तू तो हे बस अभी
रस मे बसे अभी,
कश मे चढ़े कभी
रूप मे बसे अभी,
कोश मे चढ़े कभी
रंग मे बसे अभी,
कनकन मे चढ़े कभी
आ करीब तू ज़रा अभी,
कभी मे भी देखु बारीक अभी
काल पे चढ़े जबी तो होवे कभी,
काल पे जो ना चढ़े तो होवे अभी.
काल चक्र छोड़ कर, तू बस होज़ा अभी.
काल चक्र छोड़ कर तू बस खोजा अभी.
तू और में एक हो जाये अभी
तो ना हो कमी कभी
तू पातासा दे जबभी,
पर तू परख ले अभी
तू परख ले कभी
तू करीब हे कभी
तू दूर हे कभी
बस कभी कभी
बस अभी अभी
धूप मे - छाव मे
प्रेम के भाव मे
करीब अभी, दूर अभी
मे सोचु और डूब जाउ
तू सुझावे तो तैर जाउ
अंदर कभी, बाहर कभी
ना तू तो हे बस अभी
रस मे बसे अभी,
कश मे चढ़े कभी
रूप मे बसे अभी,
कोश मे चढ़े कभी
रंग मे बसे अभी,
कनकन मे चढ़े कभी
आ करीब तू ज़रा अभी,
कभी मे भी देखु बारीक अभी
काल पे चढ़े जबी तो होवे कभी,
काल पे जो ना चढ़े तो होवे अभी.
काल चक्र छोड़ कर, तू बस होज़ा अभी.
काल चक्र छोड़ कर तू बस खोजा अभी.
तू और में एक हो जाये अभी
तो ना हो कमी कभी
तू पातासा दे जबभी,
पर तू परख ले अभी
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