Sunday, September 08, 2019

બધાની પસંદ હોય!

બધાની પસંદ હોય!
જરૂરી નથી કે તે સમ હોય
વિષમ પસંદ જો તમોને ડંશ દે,
ત્યાં વળી સંપને ખોય?

પુછતા નહી કોણ? અને શાને?
આ હું કોણ ને તેની પસંદ કઈ કઈ
તેનુજ ગાણું છે?
હું ને પસંદ નો સગપણ,
ઘડપણ સુધી સાથે ચાલતું ઍક નાણુ
ભલભલા ને ગબડાવે,
જો ના જાણે, હું કોણ?

આમ પડદાની પાછળ,
પણ ચાલે બધે આગળ.
હું કે હું ની પસંદ?

સાદગી પણ હોય!
દેખાવો પણ હોય!
પણ મળવાનું શું
આ પસંદના ફેરામાં?
જોતો નથી વૈભવ બજારોનો,
પસંદના નામે તો છલકાવે છે.
લાભ-હાની ની ક્યા ક્યા ભરમાવે તે
ઍક નહી અનેક હું ને હું ની પસંદના ઘેરામા
ઢેર ઢેર ઠરતા હું ને જોયા છે.
તરતા હું થોડા રહ્યા,
જે જાણી લે ખરો હું ને હું ની પસંદ શુન્ય.

Thursday, September 05, 2019

शिक्षक से आचार्य : परिवर्तन

शिक्षक से आचार्य : परिवर्तन

आज से बारह (१२) साल पहले शिक्षक का पेशा मेरी परिघ् के बाहर था. हलकि उसे सन्मान की नज़र से देखते थे, पर कभी उसे पेशा नही बनाना चाहते थे. हद तो तब हुवी जब हमने शिक्षक प्रशिक्षण के ३ वर्षीय अभ्यासमे जुट गये, ९ साल पहले. वहा भी जब पूछा गया 'अभ्यास मे जुड़ने का कारण बताओ?' और मेरे उत्तर मे उन्होने पाया की मे शिक्षक नही बनना चाहता. तो भैया थोड़े हमसे नाराज़ भी हुवे थे. उस समय अगर कोई मुझे शिक्षक बोल दे तो मुझे चीड़ आती थी. वह शब्द मुझे बेहूदा, घटिया लगता था. मेरे ही समुदाय (मनुष्य) के कुछ लोगो ने उसे शायद ऐसा रूप दे दिया हे. शिक्षक - जो शिक्षा करता हे. वो जो पगार ले कर मस्त हे, घ्यान और ज्ञान  उपार्जन से त्रस्त हे. ऐसी कुछ छबि थी. और मुझे ऐसा चिला-चालू तो बनना नही. करना भी अलग हे, पढ़ना अओर पढ़ाना भी अलग से था. मिराम्बिका के शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्र्म मे जुड़ने का इरादा कुछ वही था, अपने को बदलना, थोड़ा अनुशासन जीवन् मे ले आना और योग के मार्ग पर चलना.
यह चीड़ २०१० से २०१८ तक रही. अभी कोई शिक्षक कह के बुलाता हे तो बस हलके से मुस्कुरा देता हू. क्यूंकी मिराम्बिका माई ने बहुत कुछ बदल दिया हे.
एक बदलाव का ऐसा किस्सा आज 'शिक्षक दिवस' पर टीचर प्लस मगेज़ीन मे छप्पा - यह लिंक से आप भी पढ़े.

अब यह मेरी मिराम्बिका माई ने बताया की बनना हो तो आचार्य बनो.
आचार्य शब्द का प्रचलित अर्थ तो सब जानते हे, जो अपने आचरण से द्रष्टांत दे. शिखना उसी से होज़ाये.
दूसरा अर्थ नियमो को तोड़ के आज मेरे सामने आया. जो सब कुछ श्रेष्ठता के, सत्य के चरण मे अर्पित कर दे वो आचार्य. क्यूंकी श्री माँ ने कहा 'उसे एक योगी और नायक बनना पड़ेगा, जो अच्छा शिक्षक हे|'  और योगी तो सब कुछ अर्पित कर देता हे श्री के चरणमे.

यह परिवर्तन सरल नही हे, बहुत कठिन हे. मज़े की बात यह हे की बच्चो के लिए प्यार. और  बच्चे ही हमको बदलाव के लिए याद दिलाते रहते हे. यह परिवर्तन कभी पूर्ण होगा की नही? यह बता पाना आसान नही हे. शायद जिंदगी भर यह क्र्म चलता रहे. मेरी माँ ने सब देख रखा हे. और इसीलिए एक सुंदर सी जगह पर, कुछ बच्चो के संग, यह परिवर्तन को जारी रख पा रहा हु.


  

Sunday, September 01, 2019

हे रब्बा

राहत तुझ से मिलती हे रब्बा,
चाहत मेरी बस तू हे रब्बा.
परवाने के पुकार तू हे रब्बा,
दीदारो मे मेरे तू हे रब्बा.
फिर भी यह दूरिया क्यू हे रब्बा?

दिल के फलक पर अब तुम चाँद बन आना,
दम निकलने से पहेले आना.

vaibhav
31-08-2011

કાંટો કરમાઈ જાશે

સવારથી કાંટો પકડી ને બેઢો કાંઠે ઊભો ઊભો ઓટ ને જોતો કંઠ ભરાઈ આવ્યો ત્યાં સુધી કાંટો નીચે ના મૂક્યો. 'બધી રીતે તપાસ જો કરવી તી અલગ અજબ કંઈ...