Tuesday, October 25, 2016

वे कौन थे?

ना अपने थे, ना सपने थे
जिससे हम चलते थे
बस तेरी रहेम थी वो!
क्या थे हम?, वे कौन थे?
कोनसी खोज़ पे थे हम,
जिस और कदम मेरे चलते थे.
कभी रोते थे, कभी हस्ते,
फिर झगड़ते थे, और
तेरे दर पर आके हम सोते थे..
बस तेरी रहेम थी वो
जो अब तक हम ना रुकते थे.
टपकते थे, बिखरते
 कभी बरसते थे
भीग कर हम, दर्द छुपाते थे
यह भी तो तेरी रहेम थी
उड़ते थे हम, भटकते थे हम,
तड़पते थे हम, मचलते थे हम,
तेरी रहेम थी वो, जो संभलते हम.
उलाज़ते हम, सुलगते हम,
तेरी प्यार की चादर मे लिपटे थे हम
शायद इसीलिए महेकते, तुम मे ढलते थे हम.

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