Wednesday, June 30, 2021

खाली लिखा

खालीपन का पन्ना आज मेरे जीवन का हिस्सा
लिखा नही हे कुछ भी, फिर भी सुनाता हूं क़िस्सा।

जीवन के उन पल पर खालीपन लिखा हे,
तू क्यों बार बार पढ़ता भरले - भरले

क्यों ना पढ़ पाता जो खाली कहना चाहे?
थोड़ा सा ख़ालीपन मे भी तू  जी ले।

आस-पास बहुत कुछ हे, पर यह कैसी आश है?
जो है वो नही, जो नही वो तुझे कैसे दिख जाता।

लिफ़ाफ़ा कैसे खाली हो, जिंदा हूँ मे
गहराई में, जरा तू झांख ले
ख़ालीपन आईना हे, जब तक स्व नही।



Thursday, June 24, 2021

જે ને માટે, જે ના દ્વારા, જે ના થી

જે મળ્યું, એને માણ્યું નહીં;
જે જાણ્યું, એને પાળ્યું નહીં
જે ન હતું તેને ખોજવામાં
જે હતું તેને પ્રકાશયું નહીં.

Again in this emptiness i seat...
Week after week it visits me.
When it comes,i want to fill it 
And leave the feelings soon.
When it leaves me, i don't want to fill
As what is given is so priceless
That just being there is enough.
Yet,i loose, old habits tricks me.

વેગ છું એનો , vague નથી
તાવ ચઢાવી હવે દાવ નથી રમવો
જે દવ છે અંદર તેને પરિવર્તિત કરી
એક સુંદર સત્ય શિવમય જીવન
તેને દઈ દવ પૂર્ણ, આટલુંજ કરવું.

વૈભવ (વેગ, વિદ્યુત વેગ)
૨૪-૦૬-૨૦૨૧


तेरी वाणी

मे पूछता
तू चुप बैठे,
चुभती मुझे
तेरी चुपी,
यह जान के भी
अनजान बने।
बैर ना यारी
सदा बहती
कब कहती
मौन की वाणी।
सार हे सब का
अब माही
रंग भरी, 
तेरी वादी
रस भरीले
कस चढ़ी के
चार दिन में
खुट जाती सारी।



Saturday, June 12, 2021

पथ के राही - पत्थर

मेरे पथ मे मिले तुम राही हो।
मेरे पथ मे मिले तुम राही हो।
जब हो जाता मे गुमराह,
पथ से भटकूँ या ठहरु
साथी तुम, रथी बनते तुम,
जानते तुम हो जो उनका पता,
वही से जो तुम आये हो,
मेरी गति बनाये रखते हो,
जैसे मेरे प्रभु तुम मांहि हो, ओ पत्थर।

पत्थर , कह कर अब तक पहचाना तुम्हे,
पर न जाना था कि, 
तुम कितने तप कर बैठे हो।
ऊर्जा को संचित रख
बिन क्रोध तुम ठोकरों मे बैठे हो।
गति तुम्हारी इतनी वेगवंत, फिर भी
सदा तुम कैसे स्थिर दिखते हो?

लहर लहर वो सब चली गई,
तुम अपने अंदर ठहर गए।
खुद को तरास, खुदी मे रह गये।
छोड़ना था वो छोड पीछे,
 तुम आगे बह गये।
तोड़ना था तो तोड़ कर,
तुम नए रूप मे ढल गये। 
धूल बने या स्फटिक बनो तुम
पथिक की स्मृति में तुम अंकित हो गए,
मेरे परम के प्रतीक तुम आज बन गये,
ओ पत्थर, तुम राह दिखाते यह कह गये
जिसे सुन मे फिर से स्त्रोत से जुड़ गया,
नए प्राण तुम जीवन मे अर्पित कर गये।
पानी,धूप, हवा, धरती व आकाश को धारण कर रहे,
क्या दे तुम्हे, बस वंदित हो गीत लिखू, गान करू
परम् को अणु और अणु मे परम् को जान, ध्यान रखु।

કાંટો કરમાઈ જાશે

સવારથી કાંટો પકડી ને બેઢો કાંઠે ઊભો ઊભો ઓટ ને જોતો કંઠ ભરાઈ આવ્યો ત્યાં સુધી કાંટો નીચે ના મૂક્યો. 'બધી રીતે તપાસ જો કરવી તી અલગ અજબ કંઈ...